हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल
पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया
जाता है। इस दिन नाग देवता या सर्प की पूजा
की जाती है और उन्हें दूध से स्नान कराया जाता है।
लेकिन कहीं-कहीं दूध पिलाने की परम्परा चल पड़ी है।
नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या
प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है।
शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि
दूध से स्नान कराने को कहा गया है।
नागपंचमी के ही दिन अनेकों गांव व कस्बों में कुश्ती
का आयोजन होता है जिसमें आसपास के पहलवान
भाग लेते हैं। गाय, बैल आदि पशुओं को इस दिन
नदी, तालाब में ले जाकर नहलाया जाता है।
इस दिन अष्टनागों की पूजा की जाती है।
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__✍ ए के मैथिली
स्थान :- जनकपुर उप-महानगरपालिका-१४, मुजेलिया ।