Engineering Life Sad Status In Hindi Font For Whatsapp | Engineering Aur Kuch Yaaden - प्रेमकs सन्देश

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Monday, June 25, 2018

Engineering Life Sad Status In Hindi Font For Whatsapp | Engineering Aur Kuch Yaaden

इंजीनियरिंग और कुछ यादें

बस कल एग्जाम ख़त्म , टेंसन ख़त्म..”

मूवी देखने चलेंगे भाई…”

कौन सी ?

कोई भी हो हमे तो रोला पेलने से मतलब है हा हा हा…”

नहीं बे वापस आते लेट हो जायेगा और ठेका भी बंद फिर सुबह गाँव भी तो निकलना है

यही शब्द होते थे एग्जाम के बाद , यूं तो लड़कियों के नखरे और इंजिनियर के एग्जाम कभी ख़त्म ही नहीं होते , लेकिन तब तक ही जब तक लड़की की शादी नही हो जाती और इंजिनियर की बैक नही निकल जाती |


याद है जब गाँव के हरे खेतों से निकलकर जयपुर की हरयाली में आये थे तो कभी उम्मीद नहीं की थी जिन्दगी कितने और रंग दिखाएगी , जब बात आती है हरयाली की तो बता दें मैकेनिकल में लोग हरयाली का मतलब वाकई पेड़ों से समझते हैं


जिसका पता इसी से लगा सकते हैं कि डिपार्टमेंट का मैकेनिकल ब्रांच पर विश्वास इतना दृढ है कि उन्होंने ब्लॉक में लेडीज टॉयलेट का निर्माण ही नहीं करवाया ,ऐसे में वहां किसी लड़की के होने की संभावना मंगल पर पानी होने से भी कम है और यही वजह है कि लड़कियों के मामले में मैकेनिकल इंजिनियर की वफादारी का जवाब नहीं ,ये हमेसा एक ही लड़की से प्यार करते है जिसे या तो कभी स्कूल में देखा हो या फिर शादी के बाद ससुराल से मिली होहाँ कुछ लोग फेसबुक पर जरुर टांका भिड़ा लेते हैं जो - रिचार्ज के बाद उसी का क्लासमेट निकलता है, क्योंकि जिस दिन लड़के का इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला होता है सभी लड़कियां ब्लाक कर देती हैं | लेकिन फिर भी सबसे ज्यादा लड़कियों के पास इंजीनियरिंग के लौंडो के नंबर पाए जाते हैं , लेकिन ब्लैक लिस्ट में

याद है जब हर साल बगल के कॉलेज में फंक्शन होता था और बार बार बहाने मारकर क्लास से बाहर खिड़की से लड़कियां ताड़ते थे और ठंडी आहें भरकर कॉलेज को गालियाँ देते थे |

यूँ तो पिछले चार साल में जितने जुल्म कॉलेज ने हम पर ढाए हैं, हिटलर ने यहूदियों पर भी नहीं ढाए होंगे लेकिन ना जाने कब वक्त के साथ इन सब की आदत पड गई जरा अहसास भी नहीं हुआ , साथ ही आदत हो गई उन सभी कमीने दोस्तों की जिनसे कभी बिछुड़ने का ख्याल भी जहन में नहीं आया , जब तक साथ रहे कभी मुस्कुराने के लिए वजह नहीं ढूढनी पड़ी ,अब भी कोई कमीना पढकर मुस्कुरा रहा होगा कि साला दारु पीकर सेंटी हो रहा |

जब पीछे मुड़कर देखते हैं तो लगता है मानों चार साल एक पल में सिमट गए हों | जब आये थे सब अनजान चेहरे थे लेकिन धीरे धीरे सबकुछ जिन्दगी का एक हिस्सा बन गया, जब आखिरी पेपर होता था तो लास्ट क्वेश्चन एग्जाम ख़त्म होने की ख़ुशी के मारे ही छोड़ आते थे लेकिन कल इंजीनियरिंग का आखिरी एग्जाम था, सभी के चेहरे पर ख़ुशी कम खामोशी ज्यादा थी, सभी खुद को पेपर के लास्ट मिनट तक थामे रहे , आखिर अब कहाँ मुलाकात हो पाएगी इनसे भी ,एग्जाम से एक दिन पहले बुक उठाकर कौन रातभर रट्टा लगाएगा कौन रात के एक बजे कॉल करके पूछेगा भाई सुबह किस का एग्जाम है

सुना है वक्त के साथ यादे धुंधली पड जाती हैं ,शायद सही भी हो लेकिन कुछ है जिसे चाह कर भी नहीं भुला पायेंगे, वो है सभी दोस्तों के साथ बिताये वो पल, लंच के बाद मास बंक कर देना ,हर क्लास में परोक्सी लगवाना, क्लास के बीच में बहाना मारकर भाग जाना ,कैंटीन में बैठकर गप्पे मरना , टीचरों के नये नये नाम निकालना (लाल बाल ,एंग्री बर्ड ,चाचा, छोटा ADS ), थडी की चाय ,सुट्टा ,और वो रूम जिसे 4 साल से इसी उम्मीद में नही बदला कि किसी दिन पड़ोस में कोई खुबसुरत लड़की रहने आएगी ना जाने वक्त के झौंके किसे किन ऊँचाइयों तक ले जाएँ, लेकिन जब भी कभी मन उदास हो, एक बार बीते पलों को याद करना भले ही आँखों में नमी होगी लेकिन चेहरे पर मुस्कराहट जरुर होगी

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Premak Sandesh

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